नई दिल्ली: नीट काउंसलिंग में हो रही देरी के खिलाफ अब रेजिडेंट डॉक्टरों ने इमरजेंसी सेवा बंद करने का ऐलान किया है। रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपने तेवर कड़े करते हुए शनिवार को जानकारी दी कि छह दिसंबर यानी सोमवार से वे देशभर के सभी बड़े सरकारी अस्पतालों की इमरजेंसी सेवाओं का बहिष्कार करेंगे। इससे मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
रेजिडेंट डॉक्टरों के संगठन फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोरडा) की ओर से मिली जानकारी के अनुसार छह दिसंबर को देशभर के अधिकतर बड़े अस्पतालों में इमरजेंसी सेवा बंद रहेगी। फोरडा ने इस बाबत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को पत्र लिखकर भी मांग की है कि नीट की काउंसलिंग जल्द कराई जाए नहीं तो इमरजेंसी सेवा का बहिस्कार करेंगे।
अस्पतालों में दिख रहा असर
अस्पतालों में डॉक्टरों ने शुक्रवार से ओपीडी के अलावा अन्य नियमित सेवाओं का भी बहिष्कार किया है। पिछले दो दिनों से काम बंद होने के कारण राजधानी के 40 अस्पतालों में छोटी बड़ी लगभग 800 सर्जरी रद्द हो गई हैं।
सफदरजंग के अलावा, राम मनोहर लोहिया, लेडी हार्डिंग से जुड़े कलावती सरन अस्पताल, सुचेता कृपलानी अस्पताल और दिल्ली सरकार के लोकनायक, जीटीबी, अंबेडकर, संजय गांधी, दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल और इहबास समेत करीब 40 अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल का असर देखने को मिला।
यह मामला है
डॉक्टर इसलिए हड़ताल कर रहे हैं क्योंकि अभी तक नीट पीजी की काउंसलिंग नहीं हो सकी है, जबकि रिजल्ट आए काफी वक्त बीत चुका है। डॉक्टरों का नया समूह इस वजह से अस्पताल में बतौर पीजी ज्वॉइन नहीं कर पा रहा है। इसका असर मरीजों के अलावा वहां काम कर रहे अन्य रेजिडेंट के काम पर भी पड़ रहा है।
हड़ताल कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में नए डॉक्टरों की भर्ती नहीं होने से फिर से वही हालात बन सकते हैं जैसे दूसरी लहर में बने थे। ऐसे में वे जल्द काउंसलिंग की मांग कर रहे हैं।