दिल्ली हिंसा: हाईकोर्ट के जज का आधी रात को ट्रांसफर, कांग्रेस बोली- यह शर्मनाक कार्रवाई

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  • जस्टिस एस मुरलीधर के तबादले के बाद आज दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की कोर्ट में हिंसा के मामले में सुनवाई होगी
  • जस्टिस मुरलीधर ने हिंसाग्रस्त इलाके के अस्पताल से पीड़ितों को शिफ्ट करने के लिए मंगलवार रात को घर पर सुनवाई की थी
  • इसके बाद जस्टिस मुरलीधर ने दिल्ली हिंसा के मामले में बुधवार को 3 घंटे सुनवाई की, नेताओं और पुलिस को फटकार लगाई थी

नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के मुद्दे पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा और भाजपा नेताओं के भड़काऊ बयानों को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस एस मुरलीधर ने पुलिस और सरकार को फटकार लगाई थी। अब उनका ट्रांसफर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट कर दिया गया है। वे हाईकोर्ट में जजों के वरिष्ठता क्रम में तीसरे स्थान पर थे। कानून मंत्रालय ने बुधवार देर रात उनके तबादले का नोटिफिकेशन जारी किया। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे के साथ विचार-विमर्श के बाद यह फैसला लिया। इससे पहले 12 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने जस्टिस मुरलीधर समेत तीन जजों के ट्रांसफर की सिफारिश की थी। दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने पिछले हफ्ते कॉलेजियम से ट्रांसफर पर पुनर्विचार की मांग की थी।

वहीं, इस मुद्दे पर राजनीति भी गरमा गई है। कांग्रेस ने रातोंरात हाईकोर्ट जज के ट्रांसफर को लेकर मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं। राहुल गांधी ने ट्वीट किया- बहादुर जज लोया को याद करो, जिनका ट्रांसफर नहीं हुआ था। वहीं, केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि सबकुछ तय प्रक्रिया के मुताबिक ही किया गया है।

मरीजों की सुरक्षा को लेकर आधी रात को घर पर सुनवाई की थी

दिल्ली में भड़की हिंसा और पीड़ितों के इलाज को लेकर मंगलवार रात 12.30 बजे जस्टिस मुरलीधर के घर पर सुनवाई हुई थी। इसमें जस्टिस अनूप भंभानी भी शामिल थे। याचिकाकर्ता वकील सुरूर अहमद की मांग पर दिल्ली पुलिस को हिंसाग्रस्त मुस्तफाबाद के अल-हिंद अस्पताल में फंसे हुए मरीजों को पूरी सुरक्षा के साथ बड़े अस्पताल पहुंचाने का आदेश दिया था।

कपिल मिश्रा समेत 3 भाजपा नेताओं पर एफआईआर का आदेश

इसके बाद बुधवार सुबह जस्टिस मुरलीधर और जस्टिस तलवंत सिंह की बेंच ने सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर की याचिका पर सुनवाई की थी। इस दौरान दिल्ली में हिंसा और भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं पर कार्रवाई नहीं करने पर पुलिस को फटकार लगाई थी। पूछा- क्या हिंसा भड़काने वालों पर तुरंत एफआईआर दर्ज करना जरूरी नहीं है? हिंसा रोकने के लिए तुरंत कड़े कदम उठाने की जरूरत है। हम दिल्ली में 1984 जैसे हालात नहीं बनने देंगे। इसलिए जो जेड सिक्योरिटी वाले नेता हैं, वे लोगों के बीच जाएं। उन्हें समझाएं, ताकि उनमें भरोसा कायम हो सके।

3 घंटे तक सुनवाई के दौरान जस्टिस मुरलीधर ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को भड़काऊ भाषणों के सभी वीडियो देखने और भाजपा नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था। जस्टिस मुरलीधर ने हाईकोर्ट में कपिल मिश्रा का वायरल वीडियो भी प्ले कराया था। हाईकोर्ट ने पुलिस से इस मामले की प्रगति रिपोर्ट गुरुवार को सौंपने को कहा है। आज चीफ जस्टिस डीएन पटेल के कोर्ट में सुनवाई होगी।

कांग्रेस ने जज के तबादले पर केंद्र सरकार को घेरा

कांग्रेस ने जस्टिस मुरलीधर के ट्रांसफर को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि यह भाजपा सरकार के हिट एंड रन और नाइंसाफी का बेहतर उदाहरण है। यह बदले की राजनीति है। सरकार ने भड़काऊ भाषण देने वाले भाजपा नेताओं को बचाने के लिए जस्टिस मुरलीधर का ट्रांसफर किया है। ऐसा लगता है कि जो न्याय के लिए आवाज उठाएगा, उस पर कार्रवाई होगी। वहीं, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि ईमानदार न्यायपालिका का मुंह बंद करने से देश के करोड़ों लोगों का विश्वास टूटा है। रातों रात जज का ट्रांसफर कर देना शर्मनाक है। 

कौन हैं जस्टिस मुरलीधर?

जस्टिस मुरलीधर ने 1987 में सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत शुरू की थी। वे बिना फीस के केस लड़ने के लिए चर्चित रहे हैं, इनमें भोपाल गैस त्रासदी और नर्मदा बांध पीड़ितों के केस भी शामिल हैं। 2006 में उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया। जस्टिस मुरलीधर साम्प्रदायिक हिंसा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को लेकर सख्त टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश के हाशिमपुरा नरसंहार में दोषी पीएसी जवानों को सजा सुनाई थी। इसके अलावा 1984 दंगा केस में कांग्रेस नेता सज्जन सिंह को दोषी ठहराया। समलैंगिकों के साथ भेदभाव पर फैसला देने वाली बेंच में शामिल रह चुके हैं।

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