नई दिल्ली: उत्तरी दिल्ली के महापौर, श्री जय प्रकाश ने आज बताया कि निगम में हर वर्ष बजट पर चर्चा होती है और हर वर्ष बजट में नए अनुमान प्रस्तुत किए जाते है जिन पर आगामी आय के अनुसार बजट पेश किया जाता है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार जिस बजट की बात कर रही है वो अनेक मदों के माध्यम से वार्डों में खर्च होता है जैसे की शिक्षा, स्वास्थ्य व सफाई इन सब के रख-रखाव में जो खर्च आता है उसकी देख रेख एक निगम पार्षद करता है जिसका कुल योग 1.5 करोड़ रूपेय होता है।
महापौर ने कहा कि किसी भी निगम पार्षद को कोई नया फंड नही दिया गया है और यहाँ तक की निगम पार्षदों को इस वर्ष विकास निधि भी नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार जनता को बेवकूफ बनाना बंद करे। उन्होंने कहा कि अभी निगम में बजट अनुमानों पर चर्चा हो रही है और इन अनुमानों को अंतिम रूप देने का अधिकार निगम में सदन का होता है।
महापौर श्री जय प्रकाश ने दिल्ली सरकार से इस संबंध में अपने आदेश वापस लेने का आग्रह किया कि। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार निगम को सुझाव दे सकती है मगर आदेश निगम पर थोप नहीं सकती है। उन्होंने कहा कि निगम में सदन सर्वोपरि होता है और निगम के संबंध में निर्णय करने के अधिकारी निगम का होता है।