16 दिसंबर न सही निर्भया को इस हफ्ते मिल सकेगा न्याय

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नई दिल्ली : आज 16 दिसंबर को निर्भया [NIRBHAYA]  से ज्यादती के 7 साल हो गए, लेकिन देश को अब भी न्याय का इंतजार है। निर्भया [NIRBHAYA]  के दोषियों को फांसी के तख्त तक पहुंचाने के लिए सोमवार को दिल्ली समेत देशभर में बड़े प्रदर्शन होने जा रहे हैं। लोगों को उम्मीद है कि इस हफ्ते देश की अदालतें दोषियों को सजा की दिशा में आखिरी रुकावटें दूर कर देंगी। निर्भया की मां ने कहा कि जब तक हमें डेथ वॉरंट और फांसी की तारीख नहीं मिल जाती, तब तक चैन से नहीं बैठेंगे। इस केस में 6 में से एक नाबालिग आरोपी रिहा हो चुका है। एक ने आत्महत्या की और बाकी 4 तिहाड़ में हैं। ये चार दोषी हैं – विनय शर्मा, मुकेश सिंह, पवन गुप्ता और अक्षय कुमार।

स्वाति बेहोश, अस्पताल पहुंचीं
रेपिस्ट को 6 महीने में फांसी के लिए आमरण अनशन कर रहीं स्वाति मालीवाल रविवार सुबह बेहोश हो गईं। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने जबरदस्ती ड्रिप चढ़ाई।

फांसी का सबसे ज्यादा मेहनताना
निर्भया [NIRBHAYA] के चार दोषियों को तिहाड़ में फांसी देने वाले जल्लाद को कुल एक लाख रुपये का मेहनताना मिल सकता है। सूत्रों ने बताया प्रत्येक फांसी के लिए 25 हजार दिए जाएंगे।

निर्भया के गुनहगारों को अभी भी फांसी से बचने की उम्मीद
तिहाड़ जेल में बंद निर्भया के चारों कातिलों को फांसी से बचने की पूरी उम्मीद है। जेल अधिकारियों का कहना है कि अभी उनके चेहरे पर वह भाव नहीं आए हैं। जैसे कि फांसी पर लटकने वाले कैदियों के होते हैं। चारों थोड़े डरे हुए हैं, लेकिन इन्हें अभी भी अपने बचने की पूरी उम्मीद है। चारों जेल अधिकारियों से कह रहे हैं कि उन्हें फांसी नहीं होगी। अभी उनके पास बहुत विकल्प बाकी बचे हैं। इन चारों में से तीन जेल नंबर-2 में और एक जेल नंबर-4 में बंद है। अभी इन्हें फांसी के तख्ते वाली जेल नंबर-3 में शिफ्ट नहीं किया गया है। जेल अधिकारियों का कहना है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट और फिर राष्ट्रपति की ओर से इनकी फांसी पर कोई अंतिम निर्णय नहीं आ जाता। तब तक इन्हें फांसी कोठी के पास शिफ्ट करने का कोई मतलब नहीं है। हालांकि, जेल अधिकारियों ने इन्हें जेल नंबर-3 में कभी भी शिफ्ट करने वाली बात का संकेत जरूर दिया। लेकिन अभी इन्हें फांसी के तख्ते के पास वाले सेल में रखा जाएगा। फिलहाल इससे इनकार किया है। जेल अधिकारियों का यह भी कहना है कि यह भी हो सकता है कि अगर राष्ट्रपति के यहां से इनकी दया याचिका खारिज कर दी जाती है, तो फिर इन्हें फांसी देने से एक दिन पहले ही जेल नंबर-3 में फांसी कोठी के पास शिफ्ट किया जाए। इससे पहले यह जहां हैं, वहीं रहने दिया जाए या फिर जेल नंबर-3 में अन्य सेल में इन्हें एकांत में रखा जाए।

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