Corona Virus: दुनियाभर के स्वास्थ्य विशेषज्ञा अलग-अलग दवाइयों के मिश्रण (Combination) का इस्तेमाल कर मरीजों को ठीक रहे हैं. किसी देश में मलेरिया, एचआईवी/एड्स और फ्लू की दवाइयों के मिश्रण से इलाज किया जा रहा है तो कहीं ठीक हो चुके संक्रमित मरीजों के खून के प्लाज्मा से रोगियों को ठीक किया जा रहा है. कई देश पैरासिटामॉल का भी कोरोना वायरस (Coronavirus) के मरीजों के इलाज में इस्तेमाल कर रहे हैं. ब्रिटेन (Britain) में भी संक्रमित लोगों को पैरासिटामॉल (Paracetamol) की डोज दी जा रही है. ऐसे में ब्रिटेन के बाजारों में इस दवा की मांग में एकसाथ काफी वृद्धि हो गई. इसकी वजह से वहां के बाजारों से ये दवा गायब हो गई. ऐसे में इस दवा की उपलब्धता बनाए रखने के लिए ब्रिटेन ने भारत (India) से पैरासिटामॉल के करीब 30 लाख पैक्स की खरीद की है.
भारत सरकार ने दी 28 लाख पैकेट्स के निर्यात की मंजूरी: ब्रिटेन में पैरासिटामॉल की मांग में इजाफा होता देख जमाखोरों (Stockpilers) ने भी इस दवा को इकट्ठा करना शुरू कर दिया. इससे ये दवा सुपरमार्केट्स से गायब हो गई. इसके बाद ब्रिटेन की सरकार ने भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनी पेरिगो (Perrigo) को पैरासिटामॉल आपूर्ति का ऑर्डर दिया. भारत सरकार ने पेरिगो को ब्रिटेन के लिए 28 लाख पैकेट्स की आपूर्ति करने की अनुमति दे दी है. इन पैकेट्स को 40 फीट के 10 कंटेनर्स में भरकर जहाजों पर लादा (Shipped) जा चुका है. ब्रिटेन पहुंचने के बाद सरकार इन पैकेट्स को देश के बड़े सुपरमार्केट्स और खुदरा विक्रेताओं (Retailers) तक पहुंचवाएगी.
ब्रिटेन ने बताया दुनिया के सामने खड़ा सबसे बड़ा खतरा: ब्रिटेन की अंतरराष्ट्रीय कारोबार सचिव (ITS) लिज ट्रस (Liz Truss) ने कहा कि कोरोना वायरस दुनिया के सामने पिछले कुछ दशक में आया सबसे बड़ा खतरा है. इसलिए ये जरूरी है कि वैश्विक कारोबार को सुचारू रखने के लिए हम सब मिलकर काम करें और आपूर्ति जारी रहे. उन्होंने कहा कि भारत से आपूर्ति होने के बाद ब्रिटेन के सुपरमार्केट्स और रिटेलर्स के पास पैरासिटामॉल के 30 लाख अतिरिक्त पैकेट्स उपलब्ध होंगे. उन्होंने ये सौदा पूरा होने का श्रेय भारत और ब्रिटेन के अधिकारियों की जबरदस्त मेहनत को दिया. उन्होंने कहा कि हम कोरोना वायरस से मुकाबला करने के लिए भविष्य में भी भारत और अन्य देशों के साथ मिलकर काम करते रहेंगे.
कोरोना वायरस से लड़ाई में पैरासिटामॉल ही जरूरी क्यों: अब सवाल ये उठता है कि ब्रिटेन समेत कई अन्य देश भारत से पैरासिटामॉल की खरीद क्यों कर रहे हैं. दरअसल, पैरासिटामोल क्रोसिन, कालपोल और डोलो जैसी दवाइयों के लिए एक एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रेडिएंट (API) है यानी इसका इस्तेमाल कच्चे माल के तौर पर किया जाता है. पैरासिटामॉल दुनिया भर में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले दर्द निवारक और बुखार निवारक में एक है. फिलहाल दुनियाभर में इसका इस्तेमाल कोरोना वायरस के लक्षणों का इलाज करने के लिए किया जा रहा है, जिसमें बुखार और शरीर दर्द शामिल हैं. बता दें कि जहां भारत हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का कच्चा माल किसी देश से नहीं मंगाता है. वहीं, पैरासिटामॉल के लिए चीन पर निर्भर है. भारत पैरासिटामॉल के कच्चे माल का आयात चीन से करने के बाद टेबलेट बनाकर पैकेजिंग करता है.
ब्रिटिश डॉक्टर ने पैरासिटामॉल से इलाज का किया था दावा: ब्रिटेन की एक डॉक्टर ने दावा किया था कि अगर ठीक से आइसोलेशन में रहा जाए और डाइट कंट्रोल की जाए तो कोरोना वायरस को आसानी से मात दी जा सकती है. 60 साल की डॉक्टर क्लेयर ग्रेडा जनरल प्रैक्टिसनर रह चुकी हैं. उनका दावा था कि उन्हें संक्रमण हो गया था, लेकिन उन्होंने खुद ही इसे ठीक कर लिया. उनके मुताबिक, उन्होंने कुछ पैरासिटामॉल, चिकन सूप और नींबू पानी से कोरोना का इलाज कर लिया है. क्लेयर ब्रिटेन के रॉयल कॉलेज ऑफ जीपी की हेड रह चुकी हैं. उन्होंने बताया था कि वह एक कांफ्रेंस के लिए न्यूयॉर्क गई थीं. वहां से लौटकर उन्हें पता चला कि उन्हें कोरोना संक्रमण हो गया है.
भारत में पैरासिटामॉल की 545 करोड़ टेबलेट सालाना बिक्री: भारत में हैदराबाद की श्रीकृष्ण फार्मास्युटिकल्स, ग्रेन्यूल्स इंडिया और अहमदाबाद की फार्मसन ही पैरासिटामॉल का उत्पादन करती हैं. ब्रांडेड पैरासिटामॉल के लिए घरेलू बाजार का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा कालपोल और डोलो के पास है. पैरासिटामॉल का भारत में कुल बाजार 3,600 करोड़ रुपये का है. इसमें सादा पैरासिटामॉल का बाजार लगभग 1,300 करोड़ रुपये का है. इसमें भी करीब 550 करोड़ रुपये की टेबलेट्स, 410 करोड़ रुपये के सिरप और 360 करोड़ रुपये के इंजेक्शन शामिल हैं. भारत में हर साल पैरासिटामॉल की 545 करोड़ टेबलेट बिकती हैं. फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री ने भरोसा दिलाया है कि भारत के पास अगले 5-6 महीनों तक पैरासिटामॉल का उत्पादन करने के लिए पर्याप्त कच्चा माल उपलब्ध है.