Corona Virus News Updates: रिजर्व बैंक की बड़ी घोषणा, तीन महीने तक नहीं कटेगी EMI

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  • टर्म लोन की किश्त नहीं चुकाने पर डिफॉल्ट नहीं माना जाएगा
  • छूट का मतलब यह नहीं कि बकाया कभी चुकाना नहीं होगा, सिर्फ तीन महीने का समय दिया है
  • रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंकों को आरबीआई से कर्ज मिलता है

Corona Virus News Updates: कोरोनावायरस के चलते लॉकडाउन की वजह से लोगों को दिक्कत नहीं हो, इसके लिए आरबीआई ने लोन के भुगतान में राहत देने और लोन सस्ता करने के फैसले किए हैं। टर्म लोन की किश्त के भुगतान में तीन महीने की राहत दी गई है। रेपो रेट में भी 0.75% कमी की गई है। इससे सभी तरह के लोन सस्ते होंगे। रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंकों को आरबीआई से कर्ज मिलता है। बैंकों को सस्ता कर्ज मिलेगा तो वे ग्राहकों के लिए भी रेट घटाएंगे। रेपो रेट पहले 5.15% था, अब 4.40% रह गया है।

आरबीआई के बड़े कदम-
1. रेपो रेट में 0.75% कमी
असर : सभी कर्ज सस्ते होंगे
2. टर्म लोन की किश्त चुकाने में तीन महीने की छूट
असर: ग्राहकों और बैंकों को राहत मिलेगी
3. वर्किंग कैपिटल पर ब्याज का भुगतान तीन महीने टाला
असर: कंपनियों को राहत मिलेगी
4. कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) 1% घटाया
असर : सीआरआर यानी बैंकों के पास मौजूद रकम का वह हिस्सा जो उसे आरबीआई के पास रखना होता है। इसमें कमी होने से बैंकों के पास ज्यादा कैश रहेगा।

5रिवर्स रेपो रेट में 0.90% कमी

असर : रिवर्स रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों से उधार लेता है। इसमें कमी का मतलब है कि बैंक आरबीआई के पास ज्यादा पैसा नहीं रखना चाहेंगे, इससे बाजार में ज्यादा कैश रहेगा।
6. आरबीआई के फैसलों से सिस्टम में 3.74 लाख करोड़ रुपए की नकदी बढ़ेगी

आरबीआई के फैसलों के असर को सवाल-जवाब में समझिए-

1. ईएमआई में तीन महीने की छूट के मायने क्या हैं?
ईएमआई पेमेंट में छूट का मतलब यह नहीं कि आपको कभी बकाया भुगतान नहीं करना पड़ेगा। बस तीन महीने टाल सकते हैं, बाद में भुगतान करना होगा। यह कदम इस मकसद से उठाया गया है कि लॉकडाउन की वजह से जिनके पास वाकई नकदी की कमी होती है तो उन्हें कर्ज के भुगतान में कुछ समय मिल जाए। विशेषज्ञों की राय है कि वेतनभोगी या जिनके पास पर्याप्त नकदी है उन्हें ईएमआई समय पर ही चुकानी चाहिए, नहीं तो उन पर ही बोझ बढ़ेगा।

2. आरबीआई के फैसले से किसे और क्या फायदा होगा?
आम आदमी को :
 नकदी की कमी की वजह से तीन महीने तक लोन की किश्त नहीं चुका पाएंगे तो इसे डिफॉल्ट नहीं माना जाएगा।
छोटी कंपनियों को : लोन चुकाने में राहत मिलने से नकदी की कमी नहीं होगी। वर्किंग कैपिटल लोन के ब्याज भुगतान में भी तीन महीने की राहत मिलेगी। क्रेडिट हिस्ट्री पर भी असर नहीं पड़ेगा।
बैंकों को : कोरोनावायरस की वजह से अर्थव्यवस्था और जनजीवन प्रभावित हो रहा है। ऐसे में आशंका थी कि कई ग्राहक डिफॉल्ट कर सकते हैं। इससे बैंकों का एनपीए बढ़ता, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। कर्ज का भुगतान नहीं आने से बैंकों के पास कैश की कमी नहीं हो, इसके लिए नकदी बढ़ाने के उपाय भी किए गए हैं।

3. रेपो रेट घटने से क्या ईएमआई घटेगी?

हालांकि, लॉकडाउन की वजह से नए कर्ज लेने वालों की संख्या बढ़ने के आसार तो नहीं हैं। लेकिन, रेपो रेट से जुड़े कर्ज वाले मौजूदा ग्राहकों की ईएमआई कम हो जाएगी।

4. बैंकों के शेयरों में गिरावट से क्या ग्राहक प्रभावित होंगे?
आरबीआई गवर्नर ने साफ किया कि शेयर बाजारों में पिछले दिनों आई गिरावट से बैंकों के शेयर भी टूटे। लेकिन, इसका ग्राहकों से कोई मतलब नहीं। बैंकों में ग्राहकों का पैसा सुरक्षित है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि देश का फाइनेंशियल सिस्टम मजबूत है।

5. क्या राहत के और भी ऐलान होंगे?
आरबीआई गवर्नर ने इस बात के साफ संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि जो भी जरूरी कदम हैं, उन पर विचार किया जा रहा है।

6. अर्थव्यवस्था पर आरबीआई गवर्नर ने क्या कहा?
आउटलुक :
 कोरोनावायरस के असर को देखते हुए जीडीपी ग्रोथ और महंगाई दर को लेकर अनिश्चितता, इसलिए आने वाले वित्त वर्ष के लिए मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने आउटलुक जारी नहीं किया।
कैश फ्लो : देश में आर्थिक गतिविधियां और फाइनेंशियल मार्केट बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। हम ध्यान रख रहे हैं कि नकदी की कमी नहीं हो।
स्लोडाउन : ग्लोबल स्लोडाउन बढ़ सकता है, भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर होगा।
महंगाई : कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने से भारत को फायदा होगा। रिकॉर्ड उत्पादन होने की वजह से अनाज भी सस्ता हो सकता है।

देश में 21 दिन का लॉकडाउन चल रहा है

सरकार ने भी गुरुवार को 1.70 लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज का ऐलान किया था। इसमें गरीब, किसान, मजदूर, महिला, बुजुर्ग, विधवा और दिव्यांगों को राहत के ऐलान किए गए थे। कोरोनावायरस की वजह से देश में 21 दिन का लॉकडाउन चल रहा है। इससे अर्थव्यवस्था और जनजीवन प्रभावित हो रहा है।

 

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