नन्ही आवाज़: सवाल विश्वास का है, बात गंगा की, वो गंगा जो स्वर्ग से धरती पर आई भगीरथ की कठिन तपस्या के बाद। वो गंगा जिसे हम सदियों से माँ कहकर संबोधित करते आए हैं। जो युग युगान्तरों से भारतीय अमर कहानियों की साक्षी रही है। गंगा जिसने धर्म और जात-पात में कभी कोई भेद नहीं किया। तुलसी-दास, मीरा, ग़ालिब, कबीर और नानक की गुरबाणी से जिसके घाट दुनियाभर में रोशन हुए। बात उस गंगा की है, जिसके जल को छूने भर से सबकुछ पवित्र हो जाता है।
फिर आज हम इंसानों की नादानी के कारण क्यों इसका शोषण हो रहा है। यह सवाल जब एक मासूम आवाज़ कुछ सख्त अंदाज़ में हमसे पूछे, वो पूछे की जब माँ गंगा अपना कोई वादा नहीं तोड़ती तो आप क्यों ऐसा करते हैं। ध्यान देने वाली बात तो है की यह आवाज़ भारत से कई मील दूर से आई है। इस आवाज़ का नाम है सूर्य (पुत्र श्री प्रमोद राघव—लोकोपकारक, गंगा एवं गौ माँ चिंतक)। भारत की सबसे पवित्र और बड़ी नदी के लिए ऐसी संवेदनाएं ऐसे संस्कार आज खुद इस देश में मुश्किल से देखने को मिलते हैं। ज़रा सुनिए कैसे वो अपने शब्दों में गंगा की कहानी गंगा की ज़ुबानी कहता है। वो गंगा पर निर्भर लोगों की बात करता है। वो गंगा के वादों की बात करता है। वो गंगा की होने वाली पूजा की बात करता है। देशभर को उसके जल से मिलने वाले पोषण की बात करता है। वो उसके शोषण की भी बात करता है। सुनिए कैसे वो मानवजनित प्रदूषण के कारण अपने बच्चों की गोद में माँ गंगा की मौत की बात भी कर देता है।