नई दिल्ली: देश के पांच राज्यों में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर अब जनवरी में फैसला होगा। चुनाव (Election) आयोग (Commission) जनवरी 2022 में एक बार फिर स्वास्थ्य (Health) विभाग (Department) के अधिकारियों के साथ बैठक करेगा।
जिसके बाद ही ये तय हो सकेगा कि चुनाव (Election) कराए जाएं या फिर उन्हें कुछ दिनों के लिए स्थगित कर दिया जाए। चुनाव आयोग के साथ हुई बैठक के बाद अब स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण की ओर से जानकारी दी गई है कि जिन राज्यों में चुनाव होने हैं उनमें ओमिक्रॉन के केस काफी कम हैं, ऐसे में हम कह सकते हैं कि चुनाव समय पर ही होंगे।
सूत्रों के मुताबिक 28 दिसंबर से तीन दिवसीय दौरे पर भारत निर्वाचन आयोग की टीम उत्तर प्रदेश पहुंच रही है। यहां पुलिस के आला अफसरों और सभी 75 जिलाधिकारियों के साथ मीटिंग की जाएगी। भारत निर्वाचन आयोग इसी मीटिंग के जरिए चुनाव संबंधी फीडबैक लेगा। इसी फीडबैक के आधार पर मुमकिन है चुनाव कराए जाने को लेकर कोई निर्णय किया जा सकता है।
इस बीच, केंद्र की ओर से कहा गया है कि जिन पांच राज्यों में चुनाव होने वाले हैं वहां पर कोरोना की जांच के लिए टेस्ट को और बढ़ाया जाए। इसके साथ ही जिन राज्यों में वैक्सीनेशन की रफ्तार कम है वहां पर टीकाकरण को बढ़ाने के साथ ही कोविड-उपयुक्त व्यवहार को सख्ती से पालन कराया जाए।
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में चुनाव आयोग और पीएमओ से ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए यूपी में चुनाव स्थगित करने का अनुरोध किया था। भूषण ने चुनाव आयोग को जानकारी दी है कि उत्तराखंड और गोवा में 100 प्रतिशत लोगों को कोविड टीके की पहली खुराक लगाई जा चुकी है। उन्होंने कहा कि यूपी में यह करीब 85 फीसदी, पंजाब में 79 फीसदी और मणिपुर में 70 फीसदी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दी गई इस रिपोर्ट को देखने के बाद चुनाव आयोग ने अनुरोध किया कि कवरेज को 100% या जितना संभव हो उतना अधिक ले जाया जाए। उत्तराखंड और गोवा में 80 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन की दूसरी डोज दी जा चुकी है लेकिन यूपी, पंजाब और मणिपुर इस मामले में अभी बहुत पीछे हैं। चुनाव आयोग ने स्वास्थ्य सचिव को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि जिन लोगों ने अपनी पहली खुराक के तीन महीने पूरे कर लिए हैं, उनकी पहचान की जाए और बिना किसी देरी के दूसरी डोज दी जाए।