नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों का विरोध प्रदर्शन आठवें महीने में प्रवेश कर गया है। इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शनिवार इन संगठनों से आंदोलन समाप्त करने की अपील की और कहा कि सरकार तीनों कानूनों के प्रावधानों पर बातचीत फिर से शुरू करने को तैयार है। सरकार और किसान संघों ने बीच 11 दौर की बातचीत में सहमति नहीं बनी। आखिरी बैठक 22 जनवरी को हुई थी। किसानों की 26 जनवरी को हिंसक ट्रैक्टर रैली के बाद कोई बातचीत शुरू नहीं हुई। संगठनों के बैनर लगा कर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों किसान, दिल्ली की सीमाओं पर सात माह से धरना दिए हुए हैं।
किसानों का मानना है कि नए कानून कृषि मंडी में फसलों की खरीद की व्यवस्था को समाप्त कर देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कानूनों के क्रियान्वयन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है और समाधान खोजने के लिए एक समिति का गठन किया है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। तोमर ने तोमर ने ट्वीट किया, ‘‘मैं आपके (मीडिया) के माध्यम से बताना चाहता हूं कि किसानों को अपना आंदोलन समाप्त करना चाहिए। देश भर में कई लोग इन नए कानूनों के पक्ष में हैं। फिर भी, कुछ किसानों को कानूनों के प्रावधानों के साथ कुछ समस्या है, भारत सरकार उसे सुनने और उनके साथ चर्चा करने के लिए तैयार है।’’
उन्होंने कहा कि सरकार ने विरोध कर रहे किसान संघों के साथ 11 दौर की बातचीत की। सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ा दिया है और एमएसपी पर अधिक मात्रा में खरीद कर रही है। किसानों का विरोध पिछले साल 26 नवंबर को शुरू हुआ था और अब कोरोना वायरस महामारी के बावजूद सात महीने पूरे कर चुका है। नरेंद्र सिंह तोमर और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल समेत तीन केंद्रीय मंत्रियों ने प्रदर्शन कर रहे किसान संघों के साथ 11 दौर की बातचीत की है। पिछली बैठक 22 जनवरी को हुई थी जिसमें, 41 किसान समूहों के साथ सरकार की बातचीत में गतिरोध पैदा हुआ क्योंकि किसान संगठनों ने कानूनों को निलंबित रखने के केंद्र के प्रस्ताव को पूरी तरह से खारिज कर दिया।
किसान समूहों ने आरोप लगाया है कि ये कानून मंडी और एमएसपी खरीद प्रणाली को समाप्त कर देंगे और किसानों को बड़े व्यावसायिक घरानों की दया पर छोड़ देंगे। सरकार ने इन आशंकाओं को गलत बताते हुए खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी को, अगले आदेश तक तीन कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी थी और गतिरोध को हल करने के लिए चार सदस्यीय समिति को नियुक्त किया था।