नई दिल्ली : एनएसए अजित डोभाल की अध्यक्षता वाली समिति अगले तीन सप्ताह के भीतर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की नियुक्ति के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देगी। इससे सरकार को जनवरी तक एकीकृत सैन्य सलाहकार मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा, जिसका ऐलान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त को ऐतिहासिक सैन्य सुधार की घोषणा करते हुए कहा था। सीडीएस की नियुक्त का मकसद भारत के सामने आने वाली सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बढ़ाना है। सूत्रों के मुताबिक, थलसेना, नौसेना और वायुसेना पहले ही इस नये पद के लिये अपने सीनियर कमांडरों के नामों की सिफारिश रक्षा मंत्रालय को भेज चुकी है। प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की अध्यक्षता में एक कार्यान्वयन समिति का गठन किया गया था जो सीडीएस की नियुक्ति के तौर-तरीकों और उसकी जिम्मेदारियों को अंतिम रूप देगी। तीनों सेना (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) प्रमुख इस कमेटी के सदस्य हैं। सूत्रों के मुताबिक, समिति ने जमीनी कामकाज पूरा कर लिया है और वह तीन सप्ताह के भीतर अंतिम रूपरेखा पेश करेगी।
सेना प्रमुख बिपिन रावत इस पद की दौड़ में सबसे आगे हैं जो 31 दिसंबर को रिटायर हो रहे हैं।जानकारी के मुताबिक, सीडीएस का पद ‘फोर स्टार’ जनरल के समकक्ष होगा और सभी सेनाओं के प्रमुखों में सबसे ऊपर होगा। प्रोटोकॉल के मामले में भी सीडीएस सबसे ऊपर रहेगा। सीडीएस मुख्यत: रक्षा और रणनीतिक मामलों में प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के एकीकृत सैन्य सलाहकार के रूप में काम करेगा। आपको बता दें कि 1999 के करगिल युद्ध के मद्देनजर देश की सुरक्षा प्रणाली में खामियों की समीक्षा के लिये बनाई गई समिति (करगिल रिव्यू कमेटी) ने रक्षा मंत्री के एकीकृत सैन्य सलाहकार के रूप में सीडीएस की नियुक्ति का सुझाव दिया था। राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली में आवश्यक सुधार का विश्लेषण कर रहे एक मंत्रिसमूह ने भी सीडीएस की नियुक्ति का समर्थन किया था।