लद्दाख में भारत और चीन के हजारों सैनिक आमने-सामने हैं। दोनों ही देश सीमा पर टैंक, तोपें और गोला-बारूद जमा कर रहे हैं। इस बेहद तनावपूर्ण माहौल में दुनियाभर के विशेषज्ञों ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग को चेतावनी दी है कि वे कोरोना संकट को लेकर हो रही आलोचना से बचने के लिए राष्ट्रवाद और संप्रुभता को हवा न दें। उन्होंने कहा कि भारत के साथ तनाव बढ़ाने से उल्टे चीन को भारी नुकसान होगा।
विशेषज्ञों के मुताबिक भारत के साथ सीमा विवाद से चीन के सामने धर्मसंकट पैदा हो गया है। चीन और अमेरिका के बीच एक तरीके से ‘कोल्ड वॉर’ का दौर शुरू हो गया है। यही नहीं कोरोना वायरस को ठीक से नहीं संभालने के लिए दुनियाभर में चीन की आलोचना हो रही है। विशेषज्ञों ने शी चिनफिंग को चेतावनी दी है कि अगर चीन ने भारत के खिलाफ तनाव बढ़ाया और यह डोकलाम की तरह से हुआ तो अपने बचाव के लिए नई दिल्ली के अमेरिकी खेमे में जाने का खतरा बढ़ जाएगा।
भारत के लिए परिणाम अच्छे नहीं होंगे: चीन
चीन ने यह भी कहा कि भारत में राष्ट्रवादी भावनाएं तेजी से बढ़ रही हैं जो चीन-अमेरिका के बीच संभावित कोल्ड वॉर की स्थिति का लाभ उठाने के लिए भी उकसा रही हैं। चेतावनी भरे लहजे में चीन ने कहा कि अगर भारत इनमें पड़ता है तो कोरोना महामारी के बीच आर्थिक परिणाम बेहद भयावह होंगे। चीन सरकार के प्रोपगेंडा मैगजीन ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि भारत को अमेरिका-चीन के बीच जारी कोल्ड वॉर में शामिल होने के बारे में सावधान रहने की जरूरत है। अगर भारत, अमेरिका का साझीदार बनकर चीन के खिलाफ कुछ भी करता है तो इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे। यही वजह है कि मोदी सरकार को नए भू-राजनीतिक विकास का सामना निष्पक्ष और तर्कसंगत रूप से करने की आवश्यकता है। उसने यह भी कहा कि भारत को अपने देश में चीन के खिलाफ उठने वाली आवाजों को भी रोकना चाहिए।
भारत चीन विवाद में US के शामिल होने पर निशाना
ग्लोबल टाइम्स ने लद्दाख में जारी तनाव के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता के पेशकश पर भी निशाना साधा। मैगजीन ने लिखा कि भारत को चीन के साथ अपने संबंधों में किसी भी समस्या से निपटने में अमेरिका को शामिल करने से सावधान रहना चाहिए। इससे केवल मुद्दा और जटिल ही होगा। हाल ही में चीन-भारत सीमा तनाव के बारे में भी यही सच है।
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