- WHO के डॉक्टर माइकल रायन को भरोसा है कि कोरोना वायरस प्राकृतिक रूप से पैदा हुआ है
- ट्रंप ने कहा था कि उनके पास बात की बहुत सारी जानकारी है जो ये दिखाती है कि कोरोना वायरस चीन के वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट से पैदा हुआ है।
- कोरोना वायरस से सबसे बुरा हाल अमेरिका का है, जहां अब तक करीब 65 हजार लोगों की मौत हो गई है
- अमेरिका में 11 लाख से भी अधिक लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं
वॉशिंगटन: विश्व स्वास्थ्य संगठन में आपात स्थितियों के प्रमुख डॉक्टर माइकल रायन ने कहा है कि WHO को भरोसा है कि कोरोना वायरस प्राकृतिक रूप से पैदा (coronavirus natural origin) हुआ है। उन्होंने ये बात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान के बाद कही, जिसमें ट्रंप (Donald Trump on china) ने कहा था कि उनके पास बात की बहुत सारी जानकारी है जो ये दिखाती है कि कोरोना वायरस चीन के वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट से पैदा हुआ है।
रायन ने कहा कि WHO की टीम ने बार-बार बहुत सारे वैज्ञानिकों से इस पर चर्चा की है, जिन्होंने वायरस के जीन सीक्वेंस को देखा है और हमें इस बात का पूरा भरोसा है कि ये वायरस प्राकृतिक रूप से पैदा हुआ है। उन्होंने ये भी कहा कि कोरोना वायरस से प्राकृतिक होस्ट का पता लगाना जरूरी है, ताकि इसके बारे में अधिक जानकारी मिल सके और भविष्य में ऐसे खतरे से बचा जा सके।
लॉकडाउन में मजदूरों के लिए चली पहली ट्रेनलॉकडाउन के चलते देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे हुए लाखों मजदूरों को उनके गृह राज्य पहुंचाने का काम शुरू हो गया है। तेलंगाना के लिंगमपेल्ली में फंसे झारखंड के 1200 मजदूरों को लाने के लिए आज एक स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था की गई।
चीन पर भड़के हुए हैं ट्रंप
बता दें कि गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि उन्हें पूरी भरोसा है कि कोरोना वायरस चीन के वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट से ही पैदा हुआ है। ट्रंप बार-बार चीन पर हमला करते रहे हैं। उन्होंने तो यहां तक कह दिया है कि वह चीन पर लगने वाला टैरिफ भी बढ़ाएंगे, क्योंकि चीन की वजह से ही आज अमेरिका इतनी बुरी हालत में है।
अधिकतर वैज्ञानिक मानते हैं कि वायरस चीन के शहर में स्थित एक एनिमल मार्केट से पैदा हुआ है। हालांकि, अब तक इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है कि किस जानवर के जरिए कोरोना वायरस फैला है।
बनेगी पैसेंजर्स की लिस्ट
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इन स्पेशल ट्रेन्स में सवार होने वाली की लिस्ट राज्य सरकार बनाएगी। प्रवासी मजदूरों, टूरिस्ट्स, स्टूडेंट्स और तीर्थयात्रियों को अपने गृह राज्य के पास आवेदन करना होगा। वहां के नोडल ऑफिसर जो लिस्ट तैयार करेंगे, वह रेलवे को सौंपी जाएगी। स्टेशन पर केवल उन्हीं लोगों से पहुंचने को कहा गया है जिन्हें प्रशासन चुनेगा। इसके अलावा किसी को ट्रेन्स में बैठने नहीं दिया जाएगा।
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जिस राज्य से ट्रेन चलेगी, वहां स्टेशन पर यात्रियों की स्क्रीनिंग का इंतजाम होगा। सभी को स्क्रीनिंग से गुजरने और उसमें स्वस्थ पाए जाने पर ही ट्रेन में बैठने दिया जाएगा। अगर किसी तरह के लक्षण मिलते हैं तो गृह राज्य के बजाय सीधे क्वारंटीन सेंटर या होम आइसोलेशन में भेजा जा सकता है।
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जिस स्टेट से ट्रेन चलेगी, वही इन प्रवासियों की खातिर खाना-पानी का इंतजाम करेंगे। इसके लिए स्टेशन पर व्यवस्था की जाएगी।
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इन ट्रेनों से सफर करने वाले हर यात्री को फेस मास्क लगाना होगा। यही नहीं, स्टेशन से लेकर पूरे सफर के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो करना अनिवार्य है।
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आमतौर पर ट्रेनों में खचाखच भीड़ होती है। मगर कोरोना काल में ऐसा नहीं होगा। जो स्पेशल ट्रेन्स चलेंगी, उनमें कोच में 72 के बजाय 54 यात्रियों के बैठने का इंतजाम होगा। ऐसा सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन रखने के लिए किया जा रहा है।
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अगर सफर लंबा हुआ तो बीच में यात्रियों को भोजन-पानी की व्यवस्था रेलवे की ओर से मुफ्त की जाएगी।
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एक बार ट्रेन अपने गंतव्य राज्य तक पहुंच गई तो वहां के स्टेशन पर भी पैसेंजर्स की स्क्रीनिंग की जाएगी। प्रोटोकॉल वही रहेगा। अगर कोविड-19 के लक्षण मिलते हैं तो उन्हें सीधे क्वारंटीन सेंटर भेजा जाएगा। अगर कोई लक्षण नहीं दिखते तो पैसेंजर्स को घर जाने दिया जाएगा। हालांकि उन्हें 14 दिन तक होम आइसोलेशन में रहना होगा।
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मुंबई में रहने वाले प्रवासी मजदूरों को जब पता लगा कि सरकार ने उन्हें अपने राज्य भेजने की व्यवस्था की है तो वे बड़े खुश हुए। कई प्रवासी मजदूरों ने पुलिस स्टेशन पहुंचकर अपना फॉर्म जमा किया। ये फॉर्म प्रशासन की मदद से सरकार तक पहुंचाए जाएंगे।
कोरोना वायरस से दुनियाभर में अब तक 33 लाख से भी अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं और 2.40 लाख के करीब लोगों की मौत हो चुकी है। सबसे बुरा हाल अमेरिका का है, जहां अब तक करीब 65 हजार लोगों की मौत हो गई है और 11 लाख से भी अधिक लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं।