वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने अपने करीब 40 संस्थानों में किये गए अखिल भारतीय सीरोसर्वे के मुताबिक स्मोकिंग करने वालों और शाकाहरियों में कम सीरोपॉजिटिविटी पाई गई जो दर्शाता है कि उन्हें कोरोना (Corona) वायरस (Virus) से संक्रमित होने का कम रिस्क होता है।
सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि रक्त समूह ‘ओ’ वाले लोग संक्रमण के लिए कम संवेदनशील हो सकते हैं, जबकि ‘बी’ और ‘एबी’ रक्त समूह वाले लोग अधिक जोखिम में थे। गौरतलब है कि इस अध्ययन के लिए, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने एसएआरएस-सीओवी -2 में एंटीबॉडी की उपस्थिति का आकलन करने के लिए स्वैच्छिक भागीदारी के आधार पर अपनी प्रयोगशालाओं या संस्थानों में काम करने वाले 10,427 वयस्क व्यक्तियों और उनके परिवार के सदस्यों के नमूने लिए थे।
10,427 व्यक्तियों पर की गई स्टडी
वहीं सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB), दिल्ली द्वारा की गई स्टडी में कहा गया है कि 10,427 व्यक्तियों में से 1,058 (10.14 प्रतिशत) में SARS-CoV-2 के प्रति एंटीबॉडी थी।
आईजीआईबी के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं इस स्टडी के सह लेखकर शांतनु सेनगुप्ता के मुताबिक नमूनों में 346 सीरो-पॉजिटिव व्यक्तियों की जांच की गई तो उनमें एक अनुवर्ती ‘सार्स-को-वी -2 के खिलाफ’ उच्च स्तर के एंटीबॉडी स्तर का पता चला, लेकिन वायरस को बेअसर करने के लिए प्लाज्मा गतिविधि में गिरावट पाई गई।
उन्होंने ये भी कहा कि 35 व्यक्तियों के 6 महीने में दोबारा नमूने जांच हेतु लिए गए जिनमें एंटीबॉडी के स्तर में तीन महीने की तुलना में गिरावट आई जबकि बेअसर करने वाली एंटीबॉडी का स्तर स्थिर ही पाया गया। लेकिन सामान्य एंटीबॉडी के साथ ही बेअसर करने वाला एंटीबॉडी का स्तर जरूर से ज्यादा पाया गया था।
धूम्रपान करने वालों को सीरो पॉजिटिव होने की संभावना कम
इस स्टडी में कहा गया है, कि धूम्रपान करने वालों को सीरो पॉजिटिव होने की संभावना कम होती है, जो सामान्य आबादी की पहली रिपोर्ट है और इसका सबूत है कि कोविड 19 एक श्वसन रोग होने के बावजूद धूम्रपान करना कोरोना (Corona) के खिलाफ सुरक्षात्मक हो सकता है।
गौरतलब है कि इस स्टडी में फ्रांस के दो अध्ययनों और इटली, न्यूयॉर्क और चीन की ऐसी ही रिपोर्टों का हवाला दिया गया है जिसमें धूम्रपान करने वालों के बीच संक्रमण की दर कम थी।