बाल कलर और स्ट्रेट कराने से बढ़ रहा है कैंसर का रिस्क

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फैशन और ट्रेंड्स को फॉलो करनेवाली और बदलते सीजन के साथ अपने लुक्स के साथ एक्सपेरिमेंट करनेवाली महिलाओं के लिए एक चिंता देनेवाली खबर है। अगर आप लगातार अपने हेयरस्टाइल को लेकर नए-नए और अलग-अलग ट्रेंड्स फॉलो करती हैं तो इस दौरान यूज होनेवाले कैमिकल्स का अधिक उपयोग आपको कैंसर का शिकार बनाने का रिस्क कई गुना बढ़ा देता है। बुधवार को ‘International Journal of Cancer’ में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, जो महिलाएं हेयर डाई और केमिकल हेयर स्ट्रेटनर्स का रेग्युलर यूज करती हैं, उन्हें कैंसर होने की संभावना ऐसा ना करनेवाली महिलाओं की तुलना में कई गुना बढ़ जाती है। खासबात यह है कि यह समस्या उन महिलाओं के लिए अधिक घातक है, जिनका स्किन टोन डार्क होता है। अगर रीजन की बात करें तो अफ्रीकन अमेरिकन महिलाएं इसकी जद में ज्यादा आती हैं। खास बात यह है कि जो महिलाएं पर्मानेंट हेयर स्ट्रेटनर और हेयर डाई का उपयोग करती हैं, उनमें ब्रेस्ट कैंसर होने का कई गुना बढ़ जाता है। लगातार 8 साल तक इस विषय पर शोध करनेवाले शोधकर्ताओं का कहना है कि पर्मानेंट हेयर डाई यूज करनेवाली वाइट स्किन महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा अन्य महिलाओं की तुलना में 7 प्रतिशत अधिक हो जाता है। जबकि डार्क स्किन टोनवाली महिलाओं में यह रिस्क 45 प्रतिशत अधिक हो जाता है। इतना ही नहीं जो महिलाएं हर महीने या हर दो महीने में रेग्युलर तरीके से हेयर डाई का इस्तेमाल करती हैं, उनमें भी ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इस बारे में शोधकर्ताओं ने 46 हजार 709 महिलाओं पर शोध किया। इन सभी महिलाओं की उम्र 35 से 74 साल के बीच है। पुरानी स्टडी में सामने आया था कि इस तरह की बीमारी का शिकार आमतौर पर वाइट स्किन महिलाएं होती हैं लेकिन ताजा स्टडी में सामने आया है कि इन महिलाओं का 9 प्रतिशत अफ्रीकन अमेरिकन महिलाएं है। या कहिए कि वे महिलाएं हैं, जिनकी स्किन टोन डार्क होती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि हेयर प्रोडक्ट बनाने में करीब 5 हजार से अधिक केमिकल्स का उपयोग किया जाता है। इनमें से कई केमिकल्स में ऐसे तत्व होते हैं, जिनमें कैंसर पैदा करनेवाले अव्यव होते हैं। बात अगर हेयर स्ट्रेटनिंग की करें तो इसका फीमेल के स्किन टोने से कोई खास लेना-देना नहीं है। बल्कि ताजा स्टडी के अनुसार, हेयर स्ट्रेटनिंग करानेवाली 30 प्रतिशत महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। फिर चाहे उनका स्किन टोन वाइट हो या डार्क।

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