कुंभ चलो भई कुंभ चलो कुंभ चलो भई

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प्रयागराज में दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला यानि महाकुंभ 2019 का आगाज़ हो चुका है। पूरे देश में कुंभ की चर्चा हो रही है और कुंभ मेले में शामिल होने के लिए देश-विदेश से करोड़ों लोग आ रहे हैं। देश के इस सबसे बड़े धार्मिक मेले कुंभ की परंपरा सदियों से चली आ रही है।

यह प्रयागराज है। यह कुंभ नगरी है। यहां आस्था और विश्वास का सबसे बड़ा पर्व है। यहां मनुष्‍य को मोक्ष की प्राप्‍ति है। आदिकाल से अनंत है। इस मेले की एकरूपता अपने आप में ही अद्वितीय है। यह आस्थाओं का कुंभ है। आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम का महाकुंभ है।

तीर्थ नगरी प्रयागराज में अर्धकुंभ 15 जनवरी 2019 से प्रारंभ हो चुका है। कुंभ मेले की शुरुआत शाही स्नान से होती है। अखाड़े के साधु-संत कुंभ में शाही स्नान के लिए सोने-चांदी की पालिकयों पर बैठकर पेशवाई निकालते हैं। शुभ मुहूर्त में वह त्रिवेणी के तट पर पहुंचते हैं और जोर-जोर से जयकारे लगाते हैं। उनके बाद आम जनता त्रिवेणी में स्नान करने पहुंचती है। माना जाता है शुभ मुहूर्त में गंगा में स्नान करने से जल अमृत बन जाता हैजिससे अमरता प्राप्त होती है। यागराज में हो रहे कुंभ में इस बार किन्नर अखाड़े को भी शाही स्नान के लिए शामिल हुआ, इसका नेतृत्व कर रही हैं चिरपी भवानी।

पवित्र संगम स्थल पर विशाल जन सैलाब हिलोरे ले रहा है। कुंभ की धरती पर हर कोई विलक्षण दिख रहा है। यह साधु-संतों का अनोखा संगम है। यहां चारों तरफ मनमोहक छवियां देखने को मिल रही हैं। 50 दिनों तक चलने वाले इस आयोजन का अंत 4 मार्च को महा शिवरात्री को होगा। प्रयागराज का यह कुम्भ मेला अन्य स्थानों के कुम्भ की तुलना में बहुत कारणों से अलग है। दीर्घावधिक कल्पवास की परंपरा केवल प्रयाग में है। प्रयागराज को तीर्थों का तीर्थ कहा गया है।

कुंभ में हर रोज़ पुण्य की डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है। यहाँ स्नान करने वाला व्यक्ति अपनी 10 पीढ़ियों को पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त कर देता है और मोक्ष प्राप्त कर लेता है। विदेशी भक्तों की टोली भी यहां हर-हर गंगेहर-हर महादेव के जयकारे लगा रही है। कुंभ की भव्यता देखकर सभी भक्त अभिभूत हैं।

आस्था की नगरी प्रयागराज में चल रहे कुंभ मेले में देश-विदेश से साधु संत आए हैं. सभी साधु-संत अपने आप में ही काफी खास हैं. यही कारण है कि कुंभ में साधु-संत सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. कुछ साधु-संत की वेशभूषा चर्चा में बनी हुई है, तो कुछ साधुओं का रहन-सहन. ऑस्ट्रेलियन बाबा और मचान वाले के बाबा के बाद अब एक ओर बाबा कुंभ में छाए हुए हैं।

प्रयागराज मेले में नागा साधुओं का मेला लगा हुआ है। स्थानीय लोगों के साथ जो श्रद्धालु बाहर से आ रहे हैं वो भी इन नागा साधुओं की ओर खींचे चले आ रहे हैं। इन नागा साधुओं के अंदर बहुत से ऐसे रहस्य छुपे हुए हैं जिसे जानने के लिए हर कोई उत्सुक है। ऐसे में कहा जा सकता है कि इस कुंभ मेें नागा साधु आकर्षण का केंद्र बनें हुए हैं।

हजारों श्रद्धालु, जिनमें महिलाएं, बूढ़े और बच्चे भी शामिल हैं, पवित्र डुबकी लगाने के लिए कई किलोमीटर पैदल चलकर ‘कुंभनगर’ पहुंच रहे हैं। हर उम्र, रंग-रूप, जाति के व्यक्ति इस मेले में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।

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